बिहार में बेरोजगारी से निपटना - अर्थव्यवस्था और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती

16 December 23

Unemployment in Bihar

वर्तमान समय में बिहार में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और इसका सीधा असर युवावर्ग, समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। बेरोजगारी बढ़ने के कई कारण है। इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करेंगे कि बिहार में बेरोजगारी की वजह से क्या चुनौतियां सामने आई है और इन समस्याओं के समाधान के लिए क्या रणनीति बनाई जा सकती है।

बिहार में बेरोजगारी की चुनौतियां

नौकरी और कौशल के बीच तालमेल की कमी

बिहार में बेरोजगारी की समस्या बढ़ने के पीछे एक प्रमुख चुनौती के रूप मे नौकरी और कौशल के बीच तालमेल की कमी देखी गई है। कई नौकरी चाहने वालों के लिए रोजगार के अवसर तो उपलब्ध है लेकिन उनमे नौकरी की आवश्यकता के अनुसार कौशल की कमी है।

कृषि पर निर्भर होना

बिहार के अधिकतर लोग आजीविका के प्राथमिक स्रोत के रूप में खेती पर अत्यधिक निर्भर है, जिसकी वजह से बेरोजगारी और आर्थिक गतिविधियों के सीमित विविधीकरण की समस्या बढ़ गयी है।

औद्योगिक विकास की कमी

राज्य में उद्योगों और विनिर्माण इकाइयों का विकास कम होता है जिसकी वजह से रोजगार के अवसर भी कम पैदा होते हैं।

निजी क्षेत्र की कम भागीदारी

निजी क्षेत्र की भागीदारी आर्थिक विकास में अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाई है जिससे विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों की कमी हो गई है।

बुनियादी ढांचे की कमी

सही सड़क और पर्याप्त परिवहन अर्थात बुनियादी ढांचा मजबूत ना होने की वजह से निवेश आकर्षित करने और नौकरी पैदा करने की क्षमता कम है।

शैक्षिक अंतराल

शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता बेहतर न होने के कारण नौकरी की चाह रखने वाले उद्योग मानकों पर खरे नहीं उतर पाते जिससे स्नातक नौकरी के लिए तैयार नहीं होते हैं।

ग्रामीण शहरी प्रवासन

गांव में नौकरी के अवसर बहुत ही कम है और अच्छी नौकरी की तलाश में ग्रामीण क्षेत्र से लोग बड़ी संख्या में शहरों की ओर पलायन करते हैं जिससे शहरों और शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है।

अनिमेष द्वारा सुझाए गए समाधान

कृषि सुधार

ग्रामीण रोजगार पैदा करने, उत्पादकता बढ़ाने और केवल कृषि पर निर्भरता कम करने के लिए आधुनिक कृषि पद्धतियों, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना चाहिए।

कौशल विकास कार्यक्रम

कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिए ताकि नौकरी चाहने वालों को उद्योगों के अनुरूप आवश्यक कौशल प्राप्त हो सके और बाजार की मांगों के अनुसार प्रशिक्षित हो सके।

निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करें

बिहार में निवेश करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान करना, निजी क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाना और रोजगार के अवसरों को पैदा करने की ओर ध्यान देना चाहिए।

बुनियादी ढांचे का विकास

राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने तथा नौकरी की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए परिवहन और शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार करना अति आवश्यक है।

उद्यमिता को बढ़ावा

स्टार्टअप संस्थापकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए और युवाओं में उद्यमिता के प्रोत्साहन को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और परामर्श दिया जाना चाहिए।

उद्योग विविधीकरण

नवीकरणीय ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में निवेश करके उद्योगों में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

शिक्षा सुधार

स्नातक को नौकरी के लिए तैयार करने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना जरूरी है जिसके लिए उद्योग की आवश्यकताओं के साथ पाठ्यक्रम पढ़ाया जाना चाहिए।

नौकरी मिलान केंद्र

नौकरी चाहने वालों के कौशल के साथ मिलान करके रोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए नौकरी प्रशिक्षण और प्लेसमेंट केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए।

सरकारी योजनाएँ

ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थायी नौकरियाँ पैदा करने के लिए मनरेगा जैसी सरकारी रोजगार योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए।

महिला कार्यबल को बढ़ावा देना

राज्य सरकार को घर से काम के अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए तथा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना चाहिए।

डेटा-संचालित दृष्टिकोण

रोजगार पहल की निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए डेटा-संचालित रणनीति को लागू किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

बेरोजगारी भी एक जटिल चुनौती है, लेकिन सुनियोजित रणनीतियों और पक्के प्रयासों से इस बाधा को दूर किया जा सकता है। विविधीकरण को बढ़ावा देकर, कौशल अंतर को संबोधित करके, राज्य बेरोजगारी दर को कम करने, समावेशी आर्थिक विकास को लागू करने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने और अपने निवासियों के लिए नौकरी के अधिक अवसर पैदा करने की दिशा में काम कर सकता है।

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