बिहार की अर्थव्यवस्था को स्थानीयकरण की मदद से पुनर्जीवित करना

15 December 23

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बिहार में पिछले कुछ सालों से आर्थिक विकास देखा गया है। हालांकि स्थानीयकरण की कमी अभी भी बिहार के विकास की प्रगति में बाधक है और यह समस्या राज्य के समग्र विकास के साथ-साथ राज्य की आत्मनिर्भरता और रोजगार के लिए भी एक चुनौती है। इस लेख में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि यह समस्या क्यों मौजूद है और इससे निपटने के लिए संभावित समाधान क्या हो सकते है?

स्थानीयकरण की कमी को समझना

स्थानीयकरण क्या है?

स्थानीयकरण का मतलब, स्थानीय समुदाय पर केंद्रित व्यवसायों की स्थापना और विकास से है। स्थानीयकरण में उद्योगों के लिए अवसर पैदा करना, निवासियों के लिए रोजगार पैदा करना और स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देना है। यह दुख की बात है कि बिहार इस आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने में अन्य राज्यों से पिछड़ गया है।

बिहार की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र

कृषि बिहार राज्य की अधिकतर आबादी का आय का स्त्रोत है और अर्थव्यवस्था में रीड की तरह काम करती है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए राज्य ने कपड़ा, खाद्य प्रसंगिकरण और विनिर्माण जैसे उद्योगों को बढ़ाया है, परंतु उसके बावजूद भी राज्य के प्रमुख क्षेत्र में स्थानीयकरण की कमी है।

समस्या के कारण

कुशल कार्यबल का अभाव

उचित शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में कमी होने के कारण बिहार राज्य को कुशल श्रमिको की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

ऐतिहासिक अपेक्षा

बिहार राज्य पुराने समय से ही राजनीतिक अस्थिरता और बुनियादी ढांचे की कमी जैसे खराब सड़क नेटवर्क, औद्योगिक क्षेत्र की कमी और अविश्वसनीय बिजली आपूर्ति के अलावा भी कई अन्य मुद्दों का सामना कर रहा है, जिसके कारण निवेशक यहाँ निवेश करने से हिचकिचाते हैं।

नौकरशाही बाधाएँ

नौकरशाही माहौल ने बिहार में व्यवसाय को स्थापित नहीं होने दिया है और स्थानीयकरण में यह एक बड़ी रुकावट भी है।

स्थानीयकरण की कमी से निपटने पर अनिमेष का विजन

निवेश को प्रोत्साहित करना

अनिमेष का मानना है कि स्थानीयकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कर प्रोत्साहन की पेशकश, नए व्यवसाययों को सहायता प्रदान करना, नियामक प्रक्रिया को सरल बनाना होगा। यह निवेशक तथा उद्यमी को आकर्षित करने का एक बढ़िया तरीका हो सकता है।

कौशल विकास

अनिमेष के अनुसार स्थानीयकरण की कमी से निपटने में शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके लिए सरकार उद्योगों और शैक्षणिक संस्थाओं के साथ साझेदारी कर सकती है।

बुनियादी ढांचे का विकास

बिहार का बुनियादी ढांचा स्थानीयकरण में एक बड़ी समस्या खड़ा करता है। इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र का विकास करना, स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना और सड़कों का विनिर्माण करना बहुत आवश्यक है।

विनियमों को सुव्यवस्थित करना

बिहार में स्थानीयकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना बेहद जरूरी है। इससे व्यवसायों को स्थापित करना और संचालित करना आसान हो जाएगा।

निष्कर्ष

बिहार की आर्थिक वृद्धि में कमी का कारण प्रमुख क्षेत्र में स्थानीयकरण का ना होना है। बुनियादी ढांचे में सुधार और नियमों को व्यवस्थित करके, ऐतिहासिक उपेक्षा को संबोधित करके, बिहार कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करके, बिहार स्थानीयकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक सार्थक कदम हो सकता है। इससे राज्य में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और राज्य समग्र विकास तथा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। बिहार में आगे बढ़ाने की क्षमता है। इसके लिए केवल सही प्रतिबद्धता और नीतियों की जरूरत है।

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