महिला कार्यबल की सीमित भागीदारी - बिहार में एक विकास मुद्दा

15 December 23

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बिहार के कार्यबल में महिलाओं की वर्तमान स्थिति

पिछले कुछ समय से बिहार कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी की कमी की समस्या का सामना कर रहा है। आइये इस लेख के माध्यम से बिहार के कार्यबल में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व होने के कारण को जाने और इस समस्या से निपटने के लिए संभावित रणनीतियों के बारे में चर्चा करें।

सामाजिक सांस्कृतिक कारक

बिहार में प्रचलित सामाजिक सांस्कृतिक मानदंड भी कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। महिलाओं के लिए अक्सर यह सोच रखी जाती है कि वह अपना करियर बनाने की बजाय गृहस्थ जीवन को अच्छी तरह से चलाएं। इसी वजह से बहुत सी महिलाएं अपने घर से बाहर रोजगार नहीं तलाश पाती है।

शैक्षिक बाधाएँ

बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता मे कमी है। बिहार के कई गांव ऐसे हैं जहां पर लड़कियों को स्कूल पढ़ने भी नहीं भेजा जाता जिसकी वजह से वह रोजगार पाने के लिए जरूरी कौशल और योग्यताएं हासिल नहीं कर पाती है।

आर्थिक कारक

बिहार में महिलाओं को आर्थिक स्थितियों की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है जो महिलाओं को कार्यबल में शामिल होने से रोकती है। कम वेतन मिलना, सीमित नौकरी के अवसर और नौकरी में सुरक्षा की कमी के कारण महिलाओं के लिए रोजगार को एक बेहतरीन विकल्प के रूप में मानना मुश्किल हो जाता है।

बिहार के कार्यकाल में महिलाओं को सशक्त बनाने की रणनीतियाँ

शिक्षा को बढ़ावा देना

लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए सरकार को गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक संगठनों के साथ मिलकर शिक्षा के सुधार के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

जागरूकता स्थापना करना

कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी है और यह पारंपरिक मानदंडों और रूढ़ियों को चुनौती देने के लिए मीडिया अभियानों, सामुदायिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के माध्यम से किया जा सकता है।

सहायक नीतियां

महिलाओं के रोजगार का समर्थन करने वाली नीतियों को लागू करना।

काम करने की लचीली समय अवधी, भेदभाव विरोधी उपाय, मातृत्व अवकाश आदि जैसी नीतियाँ महिलाओं के लिए कार्यबल में प्रवेश को और अधिक आकर्षक बना सकते हैं।

उद्यमिता के अवसर

महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करना महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ राज्य की उन्नति के लिए एक बहुत बड़ा कदम हो सकता है। ऐसी महिलाएं जो अपना व्यवसाय शुरू करने में रुचि रखती हैं उन्हें वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करवाना चाहिए।

निष्कर्ष

बिहार में कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। महिलाओं को उनके हक के अवसर प्रदान करने के लिए आर्थिक, ढांचागत और सामाजिक सांस्कृतिक चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। कौशल विकास शिक्षा रोजगार के अवसर और बेहतर बुनियादी ढांचे में निवेश करके बिहार महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।

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